माखन तिवारी सनातनी की गिरफ्तारी से उठ रहे कई सवाल। खाकी को जब-जब मिला खादी का संरक्षण हो गई बेलगाम।
पुलिस की खलनायक वाली भूमिका को लेकर आम जनता में सबसे फेमस शब्द अगर कोई है तो वह है पुलिस वाला गुंडा। इस नाम से जहां कई फिल्में बन चुकी हैं वही प्रसिद्ध उपन्यासकार वेद प्रकाश शर्मा की उपन्यास आते ही लाखों की संख्या में बिक गई थी। यही नहीं पुलिस की खलनायक की भूमिका से चिंतित हाई कोर्ट इलाहाबाद और सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के कई जजों ने भी तीखी टिप्पणियां की थी। अब वही पुलिस वाले गुंडा की कहानी एक बार बिजुरी थाने में चरितार्थ होती दिख रही है जो इस समय जनता के बीच में चर्चा का विषय है।
अनूपपुर (बिजुरी) –
किसी ने सच ही कहा है कि अगर पुलिस अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहे तो एक सुई की भी चोरी नहीं हो सकती। वही यह भी कहा और लिखा गया है कि अगर पुलिस अपनी मनमानी, तानाशाही पर उतर आए तो उससे बड़ा कोई गुंडा नहीं हो सकता। सच यही है और इस समय बिजुरी थाना में चरितार्थ भी हो रहा है, बिजुरी थाना पुलिस या यह कहा जाए कि यहां के थाना प्रभारी ने माखन तिवारी को इसलिए संगीन धाराओं में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया क्योंकि माखन तिवारी ने सोशल मीडिया के माध्यम से बिजुरी पुलिस और अपराधियों व माफियाओं के साँठ गांठ का खुलासा करते हुए कई लाइव वीडियो शोशल मिडिया में जारी किया था और थाने के सामने धरना देने की भी चेतावनी दी थी।
तो.! अब रक्षक ही बन गए भक्षक –
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि बिजुरी पुलिस की भूमिका रक्षक से ज्यादा भक्षक की हो चुकी है और यह भी तय है कि इस थाना क्षेत्र में अपराधियों माफियाओं के साथ गलबहिया करती घूम रही पुलिस को जनता के द्वारा ऐसे ऐसे शब्दों से नवाजा जाता है कि सुनकर भी अच्छा नहीं लगता। लेकिन आम जनता के लिए निस्वार्थ सेवा भाव के कर्तव्य से दूर होती जा रही बिजुरी पुलिस ने अब जिस तरह से सारे नियम कानून को ठेंगे पर रख माखन तिवारी को एक ऐसी संगीन अपराध में जेल भेज दिया जिसमें उसकी भूमिका दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रही थी लेकिन नायक की जगह खलनायक बन ऐसे ही किसी कारनामों को अंजाम देकर अपने खिलाफ उठ रही आम जनता की आवाज को कुचलकर दबा दिया गया।
जनप्रतिनिधियों के मुंह पर लगा ताला –
जिस तरह आजाक थाने में पड़े एक पुराने मुकदमे में माखन तिवारी को 164(ख) के बयान के आधार पर गिरफ्तार करके संगीन अपराधों में जेल भेज दिया गया। उसके बाद तो इस क्षेत्र की जनता यह कहने को मजबूर हो रही है कि एक तो राजा इंद्र दूसरे हाथ में ब्रज और यही कारण है कि अब इस क्षेत्र की जनता पुलिसिया खौफ के आतंक में जीने को मजबूर हो रही है। आम लोगों का कहना है कि लोकतांत्रिक देश में किसी की आवाज को इस तरह से कुचलना अंग्रेजी हुकूमत की याद ताजा कर रही है और इन सब में प्रमुख बात यह है कि पुलिस के इस तानाशाही, गुंडागर्दी के खिलाफ इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के मुंह पर लगा ताला इस क्षेत्र की जनता अब यह भी कहने को मजबूर है कि जब-जब खाकी को खादी का संरक्षण मिल तब-तब वह बेलगाम हो जाती है।
जिम्मेदार धृतराष्ट्र की भूमिका में –
संवैधानिक घोषणाओं और गारंटियों के बावजूद गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को प्रभावी कानूनी सहायता नहीं मिल पाती है जो उनके लिए बेहद नुकसानदायक साबित होता है। वर्तमान समय में पुलिसवाला गुंडा की भूमिका में नजर आ रहे थाना प्रभारी बिजुरी की बेलगाम हो चुकी गतिविधियों पर स्थानी जनप्रतिनिधि खामोश है जो इस क्षेत्र की जनता के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यही नहीं जिस तरह से माखन तिवारी नामक व्यक्ति को बिजुरी पुलिस ने एक पुराने मुकदमे को आधार बनाकर संगीन अपराधों में जेल भेज दिया है उस पर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की खामोशी ने उन्हें भी धृतराष्ट्र की भूमिका में लाकर खड़ा कर दिया है तो गलत नहीं है।